अयाज महमूद रूमी/ मधुबनी
क्षेत्र के सकरी बाजार में साह अब्दुल रहमान साहब का दो दिवसीय उर्श शनि
वार से शुरू हो गया । पंडौल के सकरी बाजार स्थित साह अब्दुल रहमान का ६२वां वार्षिक उर्श मुबारक पर देश के अलग अलग हिस्से से कई आलमे ऐ.दिन पहुंचकर इस्लाम के कई पहलुओ को बतायेंगे । साह अब्दुल रहमान साहब के मजार पर पहुंचेंगे हजारो जायरीन । बताया जाता है की यहाँ आये जायरीनों की मनोकामना पूरी होती रही है । जिस कारण पिछले बासठ वर्षों में यहाँ आने वाले जायरीनो का संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है । इस मौके पर कमिटी के सदस्यों ने कहा कि कोई मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना । इस्लाम में बताया गया है की अपने दुश्मनों को माफ करना ही असली इस्लाम है । प्यारे नबी मुहम्मद साहब तो अपने ऊपर गन्दा फैकने वालों से भी मुहब्बत किया था । इस्लाम की अच्छी मिसाल यही है की हम सभी अल्लाह पर यकीन करते है । आज के वक्त में मुस्लिम देशों में इस्लाम के नाम पर मार काट मचा रखा गया है वो हराम है । इसी लिए कहा जाता है सरे जंहा से अच्छा हिन्दोस्ता हमाराएहम बुले बुले है इसके ये गुलिस्ता हमारा । जलसा ऐ.उर्श के मौके पर शनिवार को ही सुबह ११ बजे कुरानखानी दिन के व शाम आठ बजे मजार पर चादरपोशी कि गयी । कमिटी में शावाज महमूद मीनू, मो हस्सान, मो नासिर, मो गुड्डू, आलम साह, आफताब आलम, मो ईसा, मो शोएब जमा समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे ।
क्षेत्र के सकरी बाजार में साह अब्दुल रहमान साहब का दो दिवसीय उर्श शनि
वार से शुरू हो गया । पंडौल के सकरी बाजार स्थित साह अब्दुल रहमान का ६२वां वार्षिक उर्श मुबारक पर देश के अलग अलग हिस्से से कई आलमे ऐ.दिन पहुंचकर इस्लाम के कई पहलुओ को बतायेंगे । साह अब्दुल रहमान साहब के मजार पर पहुंचेंगे हजारो जायरीन । बताया जाता है की यहाँ आये जायरीनों की मनोकामना पूरी होती रही है । जिस कारण पिछले बासठ वर्षों में यहाँ आने वाले जायरीनो का संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है । इस मौके पर कमिटी के सदस्यों ने कहा कि कोई मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना । इस्लाम में बताया गया है की अपने दुश्मनों को माफ करना ही असली इस्लाम है । प्यारे नबी मुहम्मद साहब तो अपने ऊपर गन्दा फैकने वालों से भी मुहब्बत किया था । इस्लाम की अच्छी मिसाल यही है की हम सभी अल्लाह पर यकीन करते है । आज के वक्त में मुस्लिम देशों में इस्लाम के नाम पर मार काट मचा रखा गया है वो हराम है । इसी लिए कहा जाता है सरे जंहा से अच्छा हिन्दोस्ता हमाराएहम बुले बुले है इसके ये गुलिस्ता हमारा । जलसा ऐ.उर्श के मौके पर शनिवार को ही सुबह ११ बजे कुरानखानी दिन के व शाम आठ बजे मजार पर चादरपोशी कि गयी । कमिटी में शावाज महमूद मीनू, मो हस्सान, मो नासिर, मो गुड्डू, आलम साह, आफताब आलम, मो ईसा, मो शोएब जमा समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे ।
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