जुमे की हर घड़ी में दस-दस लाख की मगफिरत
-- रमजान के दूसरे जुमे की नवाज
मधुबनी,हजरत सैयदना फकीह समरकंदी रहमतुल्लाह अलैह एक तावील हदीश शरीफ नकल की है-अल्लाह ताला माहे रमजान में रोजाना इफ्तार के वक्त दस दस लाख ऐसे गुनहगारों को जहन्नम से आजाद करते हैं । जिन पर गुनाहों की वजह से जहन्नम बाजीब हो चुका है। ये बातें मदीना मस्जिद के खतीब व इमाम मौलाना अब्दूल कैयूम हीरा गौसी ने नमाजे खुतवा से कबल ये बातें कही। नीज सबे जुमा और रोजे जुमा यानी जुमारात के गुरबे आफताब तक की हर घड़ी में ऐसे दस दस लाख गुनहगारों को जहन्नम से आजाद किया जाता है। जो अजाब के मुस्तहक करार दिए जा चुके होते हैं और जब रमजानुमुबारक का आखिरी दिन आता है तो पहली रमजान से लेकर आखिर रमजान तक जितने आजाद हुए थे उसकी गिनती के बराबर उस आखिरी दिन में आजाद किए जाते हैं। माहे रमजान में हर हर लम्हा रोजादार की इबादत में गुजर रहा होता है। बल्कि करम बालाए करम ता ये है कि खुद खालिके बाइनात की रहमत जेाश पर है और फरमाया जा रहा है ए व्रदे तेरा काम मांगे जाना है और हमारा काम दिए जाना है।
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