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खेतों में दरार, फ़ट रहा कलेजा



222 में 66 नलकूप ही चालू, आकाश को निहार रहीं आंखें
मधुबनी : पानी के अभाव में जिले में सूखे की स्थिति गंभीर हो गयी है. महंगाई के बावजूद लागत लगा कर खेती करने वाले किसानों के हलक सूख रहे हैं. पानी की आस में आकाश की ओर निहार रही आंखों से खेतों में पड़ गयी दरारें देखकर किसानों का कलेजा फट रहा है.
जिस कारण कई किसानों को सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. मधेपुर प्रतिनिधि के अनुसार, प्रखंड के किसान पिछले 10 वषरें से कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की समस्याओं से जूझने को विवश हैं. पिछले एक पखवाड़े से बारिश के पूर्ण रूप से थम जाने के कारण एक बार फ़िर से सुखाड़ की चिंता किसानों को सताने लगी है.
शुरू के आदर्श नक्षत्र में लगातार हुई बारिश ने जहां किसानों को नाक में दम कर दिया. उस समय अधिकांश किसानों के धान के बिचड़े समय से गिर नहीं पाये जिस कारण धान की खेती नहीं हो पायी.
अब जब धान का बिचड़ा तैयार हुआ तो बारिश के अभाव में रोपनी का कार्य पूर्ण रूपेण बाधित है. अगर यही स्थिति रही तो पानी के अभाव में धान सुख जायेगा. फ़िलहाल बोरिंग के सहारे लोग धान को बचाने में लगे हुए हैं.
व्यवस्था की तलाश में
खेतों में पानी के अभाव में सूख रहे धान को बचाने के लिये किसान पानी की वैकल्पिक व्यवस्था को तलाशने में लग गये हैं. इसके लिए नदियों तालाबों से सिंचाई की व्यवस्था करने की पहल शुरू कर दी हैं.
बोरिंग ठप
जिले के किसानों से न सिर्फ़ इंद्रदेव कुपित हो बारिश बंद कर दिये हैं. बल्कि सरकारी महकमा भी किसानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. जिले के किसानों को स्टेट बोरिंग से पानी का लाभ नहीं मिल पायेगा. जिले के विभिन्न प्रखंडों के 222 बोरिंग में कुछेक ही चालू अवस्था में है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार मात्र 66 नलकूप ही चालू अवस्था में है.
आदेश बेअसर
सालों से प्रत्येक सप्ताह जिला कृषि टास्क फ़ोर्स की बैठक में स्टेट बोरिंग चालू करने के लिये नलकूप विभाग, विद्युत विभाग को जिला पदाधिकारी अपर समाहर्ता, कृषि सचिव जेडीए, सहित कई आला अधिकार द्वारा निर्देश दिया जा रहा है.
नलकूप चालू नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई किये जाने की चेतावनी भी दी जाती है लेकिन बैठक समाप्त होते ही नतीजा ढाक के तीन पात. न तो नलकूप चालू करने का पहल किया गया और न चालू हो सकी. लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारी को अबतक चिह्नित की नहीं किया जा सका है.
बारिश के आसार नहीं
सूखे से त्रस्त किसानों को फ़िलहाल बारिश से वंचित रहना होगा. मौसम वैज्ञानिक अब्दुल ए सत्तार ने बताया है कि फ़िलहाल 15 सितंबर तक बारिश होने के आसार नहीं हैं.
एक-दूसरे पर दोषारोपण
बोरिंग बंद रहने के पीछे नलकूप प्रमंडल विद्युत विभाग को दोष दे रहा है. नलकूप प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता डीपी सिंह ने बताया कि जिले में बिजली आपूर्ति नहीं किये जाने के कारण बोरिंग बंद है. वहीं विद्युत विभाग अधिकांश नलकूप में मोटर नहीं रहने एवं अन्य तकनीकी खराबी होने की बात बता रहा है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस बाबत जिला कृषि पदाधिकारी आरके राय ने बताया कि निचले जमीन में लगा फ़सल फ़िलहाल ठीक है जबकि ऊपरी जमीन में लगा फ़सल सूखने लगा है. एक- एक घंटा किसानों पर भारी पड़ रहा है.
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Milan Tomic

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