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अपने ही देश में उपेक्षित हो रही राष्ट्रभाषा



हिंदी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित
मधुबनी : राज भाषा विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को डीआरडीए के सभागार में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया. समारोह की अध्यक्षता विपिन कुमार पांडेय ने किया. जबकि समारोह का उद्घाटन डीआरडीए निदेशक मिथिलेश कुमार ने किया.
समारोह को संबोधित क रते हुए वक्ताओं ने कहा कि आजादी मिलने के बाद 1949 में आज ही के दिन हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में लेने का का निर्णय लिया गया. तब से आज तक निरंतर अपनी मधुर शैली, बोलचाल में आसान लेखनी में सरल होने के कारण यह भाषा लोकप्रियता की शिखर पर स्थापित होती जा रही है. हिंदी विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या द्वारा बोली जाने वाली तिसरी भाषा बन गयी है.
वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्र भाषा राष्ट्र की आत्मा को शांति प्रदान करती है एवं देश की एकता एवं अखंडता को अझुण्ण बनाती है. लेकिन यह दुख की बात है कि हिंदी जहां विश्व की तिसरी लोकप्रिय भाषा बन चुकी है वहीं अपने देश में अच्छे एवं रुतबा में बढोतरी के लालसा के कारण लोग इस भाषा को पीछे छोड़कर अंग्रेजी भाषा को अपनाने में अपनी शान समझते हैं.
वक्ताओं ने कहा कि कुछ हद तक यह कटु सत्य भी है कि अच्छा पद एवं जीवकोपार्जन के अच्छे साधन अंग्रेजी के माध्यम से ही प्राप्त होता है. अदालत में हिंदी को जटिल भाषा बताते हुए अंग्रेजी में ही कार्य निष्पादन किये जाने का संकल्प ले एवं हिंदी को विश्व का नंबर एक भाषा बनाने का प्रयास करें.
समारोह की मुख्य अतिथि विधान पार्षद उदय कांत चौधरी थे. जबकि संचालन उदय जायसवाल ने किया. समारोह को एसडीओ अरुण कुमार झा स्थापना समाहर्ता वीणा प्रसाद, डीएसपी कर्मलाल, प्रो. अरूण कु मार मिश्र, प्रो. नरेंद्र नारायण सिंह निराला, खगेंद्र वर्मा सहित सैकड़ों अन्य लोगों ने भी संबोधित किया.
झंझारपुर प्रतिनिधि के अनुसार, हिंदी दिवस के अवसर पर बुधवार को अनुमंडलीय सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. अनुमंडल पदाधिकारी मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्टीमें वक्ताओं ने हिंदी के व्याख्या पर अपने अपने विचार रखे. प्रमुख वक्ताओं ने शिक्षाविद् कुमार रामेश्वरम, प्रो. पुलकित कामत, प्रो. विजय कुमार चौधरी, प्रभुनारायण सिंह आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे.
सम्मानित हुए विद्वान
हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रो. अरुण कु मार मिश्रा एवं शत्रुघ्न कुमार दीपक को हिंदी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार एवं साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. दोनों विद्वानों को पाग, दुपट्टा एवं प्रशस्तिपत्र देकर निदेशक मिथिलेश कुमार ने सम्मानित किया.
पुस्तक का लोकार्पण
इस अवसर पर प्रीतम कुमार निषाद द्वारा रचित अंधेरे की किरण पुस्तक का लोकार्पण किया गया. पुस्तक का लोकार्पण विधान पार्षद उदय कांत चौधरी ने किया.
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Milan Tomic

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