बासोपंट्टी (मधुबनी), सीमावर्ती हरलाखी प्रखंड के हरने गांव में अपने पूर्व स्थान पर नलकूप लगाने से नेपाली अधिकारियों द्वारा रोके जाने से भारतीय अधिकारी पशोपेश में है तथा वरीय अधिकारियों की आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है। ग्रामीण सूत्रों का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा रेखा से पर्याप्त दूरी पर यह नलकूप वर्षो पूर्व गाड़ा गया था तथा इस नलकूप से सीमावर्ती क्षेत्र के करीब 600 हेक्टेयर भूमि सिंचित होता था। वर्ष 2011 में यह नलकूप बंद हो गया तथा इसी स्थान पर पुन: दूसरा नलकूप लगाने के लिए सिंचाई विभाग से निविदा के आधार पर संवेदक की नियुक्ति की गई तथा संवेदक ने उसी स्थान पर नलकूप गाड़ने का काम 18 मई 2012 को शुरू किया जिसे नेपाली पुलिस अधिकारियों ने रोक दिया। नेपाल के वरीय अधिकारियों की सूचना दी। उनका कहना था कि नलकूप सीमा रेखा के अंदर गाड़ा जा रहा है। किन्तु उस स्थान पर पूर्व से गाड़ा गया नलकूप है। अगर यह सीमा रेखा पर है तो पूर्व के अधिकारी नलकूप को कैसे गाड़ने दिया। इस प्रश्न का उत्तर वे नहीं दे पा रहे हैं। सीमा पर यमुनी नदी बहती है। यहां देहाती क्षेत्रों में यह धारणा है कि यमुनी नदी नेपाल के भू-भागों से बहती है जो दोनों देशों को विभाजित करती है। नदी से काफी दूरी पर भारतीय भू-भागों में नलकूप गाड़ने का कार्य आरंभ हुआ था अब इसे जमीन नापी के बाद ही पता चलेगा कि यह जमीन किसकी है तथा नेपाल के अधिकारियों द्वारा कार्य रोके जाने में कितना दम है। सीमा क्षेत्र खुला है, दोनों देशों की ओर से सुरक्षा प्रहरी तैनात है। भारतीय अधिकारी भी तथा सीमा पर तैनात एसएसबी अधिकारी अपने वरीय अधिकारियों के आदेश की प्रतीक्षा में है। इस बाबत सीओ हरलाखी का कहना है कि स्थिति सामान्य है। मेरे पुराने स्तंभ वहां हैं अगर आदेश होता है तो उस स्तंभ से नापी कराई जा सकती है। किसी लिखित जानकारी इस संबंध में उन्हें किसी स्तर से नहीं मिली है। वैसे मत्स्यजीवी सहयोग समिति की चुनाव में व्यस्त रहने से वे सीमा रेखा का मुआयना नहीं कर पाए हैं। यह अंचल का मामला है विवाद अगर होगा तो नापी कर दोनों पक्ष संतुष्ट हो जायेंगे। फिलहाल स्थिति को देखते हुए संवेदक ने कार्य रोक दिया है।
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