https://madhubanikhabar.blogspot.com/google4b43c0dd134b34c0.html 17 साल बनाम 26 साल, शहर में उपद्रव | Madhubani news+

17 साल बनाम 26 साल, शहर में उपद्रव


, महिला व मरीजों का बुरा हाल, घटना से बुद्धिजीवियों एवं महिला संगठनों में रोष

मधुबनी : कथित सिर कटी लाश की उम्र के विवाद ने शहर को उपद्रवियों के हवाले कर दिया. 17 साल बनाम 26 साल के विवाद के मामले ने इस कदर तूल पकड़ा. प्रशासन से न्याय पाने की उम्मीद पाने वालों के आह्वान पर निकले जुलूस ने शहर में घंटों उपद्रव मचाया. इस दौरान छात्राएं, महिलाएं व मरीज का बुरा हाल रहा.
सड़कों पर उपद्रवियों की फब्तियों के शिकार शिव गंगा बालिका विद्यालय की छात्राएं व सड़कों पर जा रही महिलाएं शर्मसार होती रही. टीन एजर्स का हुजूम का घंटों तांडव मचता रहा.
कानून का जिस तरह से माखौल उड़ा, इसके सवाल उठने लगे हैं. कानून को हाथ में लेकर जिस तरह से शहर को अस्त व्यस्त किया गया. वह बहस का मुद्दा है. फिलवक्त पूरे घटना से बुद्धिजीवियों एवं महिला संगठनों में रोष है. छात्र के कथित अपहरण एवं बाद की उत्पन्न स्थिति से घर की महिलाएं अपने आपको काफी शर्मसार महसूस कर रही हैं.
* सता रही बच्ची की चिंता
इस पूरे प्रकरण से बच्चियों को लेकर शहर के मां-बाप परेशान हैं. पिता की मिटती प्रतिष्ठा एवं समाज में महिला होने की घूंट पी रही महिलाओं की बेचारगी बहुत कुछ बंया कर रही है.
सुशासन के इस सरकार व महिला सशक्तीकरण होने के दावे करने वाले इस सिस्टम में प्रेम प्रसंग बता कर बच्चियों एवं महिलाओं की जो दशा बनायी जा रही है. समाज को लंबे समय तक इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. इससे कोई भी बुद्धिजीवी इनकार नहीं कर सकते हैं. विभिन्न महिला संगठन ने पुरुष अहंवादी एवं पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाये गये हैं.
मिथिला मूवमेंट अंगेस्ट करप्शन की रिंकू झा, नितू सिन्हा, अपिमा मिश्र, गोमती झा, अनुजा झा, शारदा मिश्र, अराधना झा आदि ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इन्होंने कहा कि बच्चियों के गायब होने के मामले में पुरुष अहंवादी एवं पुलिस प्रशासन प्रेम-प्रसंग का मामला बता कर जिस तरह व्यवहार करता है वह काफी निंदनीय है.
इसका सीधा असर हजारों लाखों बच्चियों पर पड़ता है. बच्चियों की मानसिकता पर गहरा आघात पहुंचता है एवं घरों से निकलना भी दूभर बन जाता है. आखिरकार इस आधुनिक युग में महिलाओं पर हो रहे इस हमले को घिनौना ही कहा जा सकता है.
समाज के बुद्धिजीवियों को ऐसे वारदात को जायज करार देने की साजिश का परदाफाश करना होगा. इसके खिलाफ आगे आना होगा. महिला उत्थान संघर्ष मोरचा बालिका संरक्षण समिति, महिला सुरक्षा समिति, प्रेस क्लब ट्रस्ट जैसे संगठन ने भी प्रेम प्रसंग का मामला बता कर की जानें वाली ओछी हरकत के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की मांग सरकार से की है. अन्यथा सीतामढ़ी की कंचन बाला जैसी लोमहर्षक वारदात होती रहेगी, जो हमें सभ्य समाज होने के दावे को खारिज करता रहेगा.
* लाखों का नुकसान
उपद्रवियों ने सदर अस्पताल में हंगामा किया. लगभग 11 बजे अस्पताल पर हमले हुए. इस वक्त लगभग 500 मरीज व परिजन अस्पताल में मौजूद थे. उपद्रवियों ने निर्दयतापूर्वक रोड़ेबाजी शुरू कर दी.
इससे अस्पताल में भगदड़ मच गयी. सिविल सर्जन कार्यालय, आउटडोर मरीज वार्ड, इमरजेंसी वार्ड सहित पूरे अस्पताल में तोड़ फोड़ शुरू कर दी. आकलन के मुताबिक 40 लाख से अधिक की संपति का नुकसान हुआ है. महिला वार्ड में बेड के नीचे छिपकर अपनी जान बचाने वाली कमरुल निशा का पैर टूटा है. इसका इलाज करवा रही है. इन्होंने बताया कि वार्ड के गेट, खिड़की व छत से रोड़े फेंके जा रहे थे. इससे
* ग्लास टूट कर मरीजों को लगा. टूटे ग्लास
से घायल अनारो देवी, कुसुमा देवी, फातमा बानो, मलारी देवी, अरुहुलिया देवी, अनिता देवी टूटे ग्लास के टुकड़े से लहूलुहान तड़पती रही. इमरजेंसी वार्ड में इलाज
* कराने पहुंचे नूतन व आसमा के परिजन
बदहवास होकर भागते रहे. प्रसूति वार्ड में डेढ़ दर्जन महिलाएं चीखती चिल्लाती रही. इसके बाद भी उग्र छात्रों ने रोड़ेबाजी बंद नहीं की. इधर, समाहरणालय में भी अराजक स्थिति बनी रही. वहां के सारे होर्डिग तोड़ दिये गये.
मेन गेट को तोड़ दिया गया. उग्र छात्रों को काबू में करने के लिए पुलिस ने दर्जनों राउंड फायरिंग की, लेकिन आक्रोशित छात्र मानने के लिए तैयार नहीं थे. देर शाम तक छात्र नगर थाने के घेरे हुए थे. यहां छात्रों ने दोपहर में ही आग लगा दी थी. थाने में मौजूद पुलिस वालों ने किसी तरह से आसपास के क्वार्टरों में घुस कर जान बचायी.
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Milan Tomic

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