हेट्रिक मार कर विधायक बने नैयर आजम नहीं रहे
madhubani khabar |
अयाज़ महमूद रूमी-मधुबनी-9708137399
पंडौल विधानसभा से तीन बार विधायक रहे राजद के
वरिष्ठ नेता नैयर आजम ने रविवार को
सुबह पटना में अंतिम सांस ली । आजम
लम्बे समय से बिमार चल रहे थे । पंडौल
प्रखण्ड के सकरी दरबार टोला निवासी स्व. सुफी कादरी के 66
वर्षीय पुत्र नैयर आजम पंडौल विधान सभा से लगातार तीन बार विधायक बने । बेहद
मृदुभाषी व सादा जीवन जीने के शौकिन थे पूर्व विधायक । वर्ष 1978 से 2001 तक सकरी मे मुखिया पद पर काबिज बेहद लोकप्रिय
थे |
पहली बार बने विधायक https://hi.wikipedia.org/wiki/विधायक
वे
पहली बार वर्ष 1985 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे जिसमें बुरी तरह हार
गए थे । वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में वे जनता दल के प्रत्याशी बन चुनाव लड़े
परन्तु बेहद कम अन्तर से चुनाव हार गए । चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने हिम्मत
नहीं हारी वे लगातार क्षेत्र में दबे कुचले गरीबों के लिए संघर्ष करते रहे । इसका फल उन्हें वर्ष 1995 के विधानसभा
चुनाव में मिला जब वे पहली बार विधायक बन पटना विधानसभा पहुंचे । फिर उसके बाद
उन्होंने पिछे मुड़कर नही देखा । वर्ष 2000 एवं 2005 में चुनाव जीत अपनी हैट्रीक
बनाई थी । परन्तु पंडौल विधानसभा का विलय मधुबनी विधानसभा में हो जाने के कारण
उन्हें इसके बाद हार का सामना करना पड़ा ।
अदलपुर के अफजल की जान युही नहीं गई
https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=3470798414073913757#editor/target=post;postID=5303807860730923622;onPublishedMenu=allposts;onClosedMenu=allposts;postNum=1;src=postname वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में वे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बन चुनाव लड़े जिसमें बुड़ी तरह पराजय का सामना करना पड़ा था । इसके बाद से वे सक्रीय राजनिति से दुर हो गए थे । लगातार बिमार रहने शरीर अस्वस्थ रहने के कारण ने अक्सर पटना में ही रहते थे । पाँच दिन पहले से उनकी हालत अधिक खराब हो गयी जिसके बाद उन्हे पटना एक एक अस्पताल मे भर्ती किया गया | जहा रविवार को सुबह ईलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से चारों ओर दुख की लहर दौड़ पड़ी है ।
वर्तमान राजद विधायक समीर कुमार महासेठ ने उनके
निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा की हम सब के लिए यह अपुर्णिय क्षति है ।
उनके निधन से हम सब ने राजनिति की एक धरोहर को खो दिया । सामाजवादी विचारधारा की
एक प्रमुख कड़ी थे । उनके जैसे स्वभाव के नेता बहुत कम होते हैं। इस दुख की घड़ी
में हम सब उनके परिजनों के साथ हैं । अदलपुर के अफजल की जान युही नहीं गई
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