मधुबनी : ताजा फ़ल व हरी सब्जी के नाम पर बाजार में जहर बेचा जा रहा है. धोखे में लोग इसे जम कर खा भी रहे है.
विभिन्न गैरसरकारी संगठनों ने इस पर चिंता व्यक्त की है. वहीं चिकित्सक भी इसे काफ़ी खतरनाक बताते है. ताजा दिखाने की होड़ में इन फ़लों व सब्जियों को हानिकारक रसायनों से रंगने के बढते प्रचलन का स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
बताया जा रहा है कि भिंडी, करैला, परवल आदि जैसी हरी सब्जियों ग्रीन ऑक्साइड का प्रयोग कर रंगा जा रहा है. वहीं सेब, नाशपाती जैसे फ़लों को वैक्स से पॉलिश कर बेचा जा रहा है. ये हानिकारक तत्व मानव शरीर में जाकर उन्हें रोगी बना रहा है.
जिला मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्रों सहित झंझारपुर, बेनीपट्टी, जयनगर, फ़ुलपरास व ग्रामीण बाजार क्षेत्रों में भी रंगों का खूब प्रयोग किया जा रहा है.
असर नहीं होता खत्म
इन सब्जियों एवं फ़लों को रंगने के बाद कोई भी तरकीब इसका असर खत्म नहीं कर पाता है. प्रयोग किये गये रसायन सब्जी व फ़ल के अंदर पहुंच जाता है. धोने के बाद भी इसका प्रभाव खत्म नहीं हो पाता है.
बीमारी का बन रहा कारण
ये रसायन विभिन्न प्रकार के बीमारियों का कारण बन रहा है. इसके प्रयोग से लोग इन बीमारियों की चपेट में आते जा रहे है. होम्योपैथ चिकित्सा पदाधिकारी डा. हरेंद्र कुमार लाल दास ने बताया कि इन पदार्थो से पेट की गड़बड़ियों का होना तो अब आम बात हो गयी है.
इससे कब्जियत और गैस की समस्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है. धीरे धीरे इससे आंत पर असर शुरू हो जाता है. जिससे आंत का कैंसर व हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. यह रासायनिक पदार्थ पूरे शरीर में फ़ैलकर शरीर की नर्व सिस्टम को भी प्रभावित कर देता है.
करें उपाय
ग्रामीण अंचलों में ताजी सब्जी मिल जाती है. सुबह में मुख्यालय के स्टेशन रोड एवं गिलेशन में गांव से पहुंचे किसान से ताजी सब्जी खरीदना आसान है. सीजन के मुताबिक ही हरी सब्जी खाने की कोशिश करनी चाहिए. कद्दु, परवल, करैला, भिंडी आदि जब बाहर से मंगाये जाते है तो इसमें दो तीन दिन लग जाते है.
काफ़ी महंगा होने के कारण सब्जी मंडी में इसे अधिक दिन तक ताजी रखने के लिए केमिकल का प्रयोग किया जाता है. वहीं फ़लों को खरीदने के बाद नल के नीचे तेज धार में धोकर ही इसे खाना लाभकारी होगा.
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