पंडौल |अयाज़ महमुद रुमी
-प्रतीभा ग्रामीण क्षेत्र मे भी छिपी हुई है जरूरत है उसे समुचित स्थान एवं सफल निर्देशन कि ताकि वो अच्छे रास्ते पर चल सके। और इसके लिए कोई आवश्यकता नही है कि छात्र-छात्रा महानगरो मे जाकर ही तैयारी कर सफल हो सके , बल्कि कर्मठता कि आवश्यकता है । ठीक इसका उदाहरण पंडौल प्रखंड के बिहनगर गाँव मे पान की दुकान करने वाले श्री सुशील मिश्र कभी सोचे भी नही थे कि मेरा बेटा शीतल कुमार मिश्र बैंक पी ओ बन जाएगा। वही इसी गाँव के कुटिया मशीन चलाने वाले श्री जय कुमार मिश्र के बेटे गुंजन कुमार मिश्र ने भी बैंक पी ओ कि परीक्षा मे सफलता प्राप्त कर गाँव के छात्रो के लिए प्रेरणास्रोत बना है। दोनो के पिताजी कहते है कि यदि इसमे किसी का भी देन है तो उपर मे भगवान और मधुबनी मे एस के ठाकुर का जो गरीब बच्चो को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित है । इन्ही के निर्देशन मे नीरज कुमार झा पिता श्री कृष्णदेव झा जो मधुबनी मे रहते है , श्री हरेराम झा के पुत्र राहुल कुमार झा और मधुबनी कि खुशबु रानी पिता श्री डाॅ राज कुमार साह भी सफलता का श्रेय डाॅ एस के ठाकुर को देते हुए कहती है कि सर के सफल निर्देशन के कारण ही आज मै मधुबनी मे रहकर सफलता हासिल की हुँ। वास्तव मे व्यक्ति का लक्ष्य आज के आर्थिक युग मे सिर्फ पैसा कमाना हो गया है, लेकिन इससे भिन्न मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले डाॅ एस के ठाकुर बीस वर्षो से गरीब छात्र-छात्राओ को पढ़ाकर उसे अच्छे पदो पर पहुँचाने के लिए संकल्पित रहते है। यही कारण है कि ना सिर्फ यह पाँचो छात्र-छात्रा बल्कि सैकड़ो छात्र-छात्राओ ने इनके निर्देशन मे सफलता हासिल की है । वही डाॅ एस के ठाकुर " एस के ठाकुर कम्पीटीटीभ इंग्लिश" के माध्यम से बच्चो को शिक्षा देने के लिए संकल्पित है ।
-प्रतीभा ग्रामीण क्षेत्र मे भी छिपी हुई है जरूरत है उसे समुचित स्थान एवं सफल निर्देशन कि ताकि वो अच्छे रास्ते पर चल सके। और इसके लिए कोई आवश्यकता नही है कि छात्र-छात्रा महानगरो मे जाकर ही तैयारी कर सफल हो सके , बल्कि कर्मठता कि आवश्यकता है । ठीक इसका उदाहरण पंडौल प्रखंड के बिहनगर गाँव मे पान की दुकान करने वाले श्री सुशील मिश्र कभी सोचे भी नही थे कि मेरा बेटा शीतल कुमार मिश्र बैंक पी ओ बन जाएगा। वही इसी गाँव के कुटिया मशीन चलाने वाले श्री जय कुमार मिश्र के बेटे गुंजन कुमार मिश्र ने भी बैंक पी ओ कि परीक्षा मे सफलता प्राप्त कर गाँव के छात्रो के लिए प्रेरणास्रोत बना है। दोनो के पिताजी कहते है कि यदि इसमे किसी का भी देन है तो उपर मे भगवान और मधुबनी मे एस के ठाकुर का जो गरीब बच्चो को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित है । इन्ही के निर्देशन मे नीरज कुमार झा पिता श्री कृष्णदेव झा जो मधुबनी मे रहते है , श्री हरेराम झा के पुत्र राहुल कुमार झा और मधुबनी कि खुशबु रानी पिता श्री डाॅ राज कुमार साह भी सफलता का श्रेय डाॅ एस के ठाकुर को देते हुए कहती है कि सर के सफल निर्देशन के कारण ही आज मै मधुबनी मे रहकर सफलता हासिल की हुँ। वास्तव मे व्यक्ति का लक्ष्य आज के आर्थिक युग मे सिर्फ पैसा कमाना हो गया है, लेकिन इससे भिन्न मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले डाॅ एस के ठाकुर बीस वर्षो से गरीब छात्र-छात्राओ को पढ़ाकर उसे अच्छे पदो पर पहुँचाने के लिए संकल्पित रहते है। यही कारण है कि ना सिर्फ यह पाँचो छात्र-छात्रा बल्कि सैकड़ो छात्र-छात्राओ ने इनके निर्देशन मे सफलता हासिल की है । वही डाॅ एस के ठाकुर " एस के ठाकुर कम्पीटीटीभ इंग्लिश" के माध्यम से बच्चो को शिक्षा देने के लिए संकल्पित है ।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें