धूम धाम के साथ मनाया गया शब-ए बारात
अयाज़ महमूद रूमी-मधुबनी
मधुबनी-शब ए बारात को लेकर क्षेत्र के विभिन्न मस्जिदों व कब्रगाह को रोशन किया गया । जिसमें उनके भले बुरे कामों का लेखा.जोखा होता है। शबे बारात की रात यह तय होता है कि इस साल किस.किसका अल्लाह के घर से बुलावा आयेगा और किस.किसको जिन्दगी मिलनी है । यानि मौत के खौफ के साथ लोग अल्लाह की बारगाह में अपनी निजात की अर्जी लगाते हैं ।
शबे बारात
शबे बारात के अवसर पर पंडौल सरिसबपाही सकरी और मकसूदा भगवतीपुर, भवानीपुर बिरौल सलेमपुर में जोर शोर से मनाया गया । ज्ञात हो की रमजान उल मुबारक के 15 दिन पहले मनाया जाने वाला विशेष इबादत का त्योहार है शबे बारात शब का अर्थ है रात और बारात या बराअत का अर्थ है मुक्ति या निजात ।
मुसलमान
अल्लाह रब्बुल इज्जत की बारगाह में शबे बारात की रात हर इंसान की हिसाब तैयार होती है । इस दिन मस्जिदों में विशेष इबादतें होती हैं तथा रात में शहर की प्रमुख मस्जिदों में शबे बारात की फजीलत के बारे में उलेमा ए दीन की तकरीरें तथा खुसुसी दुआएँ भी होती हैं । इस मौके पर कई मुसलमान अपने रिश्तेदारों की कब्रों पर फातेहा भी पढ़ने गए । शबे बारात की रात इबादत की रात है लोग अल्लाह की बारगाह में अपने गुनाहों की तौबा किया । और अल्लाह से अपनी जानी.अनजानी गलतियों की माफी मांगी ।https://www.blogger.com/blogger.g?blogID=3470798414073913757#editor/target=post;postID=7473680376242190330;onPublishedMenu=allposts;onClosedMenu=allposts;postNum=28;src=postname
नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लमmadhubani khabar
कई लोग शबे बारात पर हलवा पकाते हैं । कहते है कि जंगे उहुद में अल्लाह के नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का दांत टूट गया था तो आपने हलवा खाया था इसलिये शबे बारात के दिन हलवा खाना सुन्नत है । कहा जाता है कि एक बुजुर्ग उवैस करनी को जब मालुम हुआ कि आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का दांत.ए.मुबारक शहीद हो गया तो उन्होने अपने दातों को पत्थर से तोड डाला और फिर उन्होने हलवा खाया । शबा बारात को लेकर बच्चे सुबह से ही नहा धोकर नये कपड़ों में घूम रहे थे जबकि महिलायें नये नये पकवान बनाने में व्यस्त रही शाम होते ही क्षेत्र के मस्जिद खुबसूरत रोशनी से जगमगाने लगी रात में क्षेत्र के ग्रामीण उलकों में भी खुशिया देखने को मिली ।
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