पंडौल।अयाज़ महमूद रुमी, 9708137399
नब मिथिला नब मैथिली संस्था के तत्वावधान में तीन दिवसीय कार्यक्रम मैथिली साहित्य कला रंगमंच महोत्सव "अर्घ" आयोजन किया गया। जिसमे दीपा मिश्रा की अध्यक्षता में मेनू कुमारी व डा. सुष्मिता दीप प्रज्जवलन तथा गणपति स्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की गयी।कार्यक्रम के वीडियो यहां देखियेhttps://youtu.be/4Ehq7QZZS2s
उदघाटन के बाद आर्यन के द्वारा जय-जय भैरवी पर और श्रीमती जय श्री के द्वारा गणेश वंदना पर नृत्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। वही रूपम मिश्र के द्वारा"नब मिथिला नब मैथिली का" संकल्प गीत प्रस्तुत किया गया। रंजू मिश्र जूही मिश्र तथा प्रीति झा ने सुमधुर स्वर में मंगलगान कर अतिथियों का अभिवादन किया। मौके पर स्वागत भाषण रमानन्द झा रमणजी के द्वारा दिया गया। वही डॉ सदन मिश्र के द्वारा पुस्तक मेला का उद्घाटन किया गया। जबकि दूसरे सत्र में "मैथिली साहित्य परिचर्चा" में जिसकी अध्यक्षता भीमनाथ झा जी ने किया।डॉ झा ने मैथिली साहित्य के विकास में युवा पीढ़ी के योगदान पर अपना विचार रखा। सुनीता झा मिथिला और मैथिली के नामकरण के इतिहास पर अपने विचार प्रकट किए। डॉ रमानन्द झा रमण, मैथिली साहित्य के इतिहास पर अपने विचारों से लोगों को अवगत कराए। कथाकार अशोक जी वर्तमान मैथिली साहित्य और मैथिली उपन्यास पर अपना शोधपूर्ण मन्तव्य को लोगो के साथ साझा किया। इस दौरान सदानन्द झा ने मैथिली साहित्य में संस्कृत भाषा की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ नीरजा रेणु वर्तमान मैथिली साहित्य में बाल साहित्य के स्थिति पर विशेष प्रकाश डाला। डॉ आभा झा आज के परिपेक्ष्य को देखते हुए आलोचना, साहित्यक विकास में आने वाले कठिनाइओं एवं उपायों पर अपने अर्थपूर्ण व्याख्यान दिए। डॉ शिवशंकर श्रीनिवास के परिचर्चा वर्तमान परिपेक्ष्य में मैथिली कहानियों पर था। मंजर सुलेमान के द्वारा मैथिली साहित्य पर इस्लामिक संस्कृति का प्रभाव, पर अपने विचार साझा किए। डॉ विजय मिश्र ने व्याख्यान मैथिली साहित्य पर अँग्रेज़ी साहित्य का प्रभाव विषय पर था। मणिकान्त झा ने मैथिली साहित्य और कविता पर भौगोलिक प्रभाव पर व्यापक चर्चा किया। डॉ सुनीता झा आधुनिक मैथिली कविता में स्त्री विमर्श पर विचार रखीं। अजीत मिश्र ने मैथिली साहित्य के भविष्य पर अपने दृष्टिकोण लोगों के समक्ष रखा। साथ ही हर्षाश्री द्वारा मैथिली साहित्य का अन्य भाषा में अनुवादक के आवश्यकता पर विचार रखा गया। तीसरा सत्र सायंकालीन कार्यक्रम "चंद्रमा उतरल गगन सँ" के अंतर्गत डॉ सुष्मिता झा जी का शास्त्रीय संगीत तथा अभिनव सब्यसाची द्वारा "मेघक पाँछाक इंद्रधनुष" नाटक की शानदार प्रस्तुति रही। ओडिसी नृत्य "नव दुर्गा" शिवानी झा जी द्वारा तथा काम्या झा जी का नृत्य "अयि गिरि नंदनी" से कार्यक्रम का समापन शानदार रूप से हुआ। सफल कार्यक्रम हेतु अयाची नगर युवा संगठन के सभी कार्यकर्ता रात-दिन जुटे हैं।
उदघाटन के बाद आर्यन के द्वारा जय-जय भैरवी पर और श्रीमती जय श्री के द्वारा गणेश वंदना पर नृत्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। वही रूपम मिश्र के द्वारा"नब मिथिला नब मैथिली का" संकल्प गीत प्रस्तुत किया गया। रंजू मिश्र जूही मिश्र तथा प्रीति झा ने सुमधुर स्वर में मंगलगान कर अतिथियों का अभिवादन किया। मौके पर स्वागत भाषण रमानन्द झा रमणजी के द्वारा दिया गया। वही डॉ सदन मिश्र के द्वारा पुस्तक मेला का उद्घाटन किया गया। जबकि दूसरे सत्र में "मैथिली साहित्य परिचर्चा" में जिसकी अध्यक्षता भीमनाथ झा जी ने किया।डॉ झा ने मैथिली साहित्य के विकास में युवा पीढ़ी के योगदान पर अपना विचार रखा। सुनीता झा मिथिला और मैथिली के नामकरण के इतिहास पर अपने विचार प्रकट किए। डॉ रमानन्द झा रमण, मैथिली साहित्य के इतिहास पर अपने विचारों से लोगों को अवगत कराए। कथाकार अशोक जी वर्तमान मैथिली साहित्य और मैथिली उपन्यास पर अपना शोधपूर्ण मन्तव्य को लोगो के साथ साझा किया। इस दौरान सदानन्द झा ने मैथिली साहित्य में संस्कृत भाषा की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ नीरजा रेणु वर्तमान मैथिली साहित्य में बाल साहित्य के स्थिति पर विशेष प्रकाश डाला। डॉ आभा झा आज के परिपेक्ष्य को देखते हुए आलोचना, साहित्यक विकास में आने वाले कठिनाइओं एवं उपायों पर अपने अर्थपूर्ण व्याख्यान दिए। डॉ शिवशंकर श्रीनिवास के परिचर्चा वर्तमान परिपेक्ष्य में मैथिली कहानियों पर था। मंजर सुलेमान के द्वारा मैथिली साहित्य पर इस्लामिक संस्कृति का प्रभाव, पर अपने विचार साझा किए। डॉ विजय मिश्र ने व्याख्यान मैथिली साहित्य पर अँग्रेज़ी साहित्य का प्रभाव विषय पर था। मणिकान्त झा ने मैथिली साहित्य और कविता पर भौगोलिक प्रभाव पर व्यापक चर्चा किया। डॉ सुनीता झा आधुनिक मैथिली कविता में स्त्री विमर्श पर विचार रखीं। अजीत मिश्र ने मैथिली साहित्य के भविष्य पर अपने दृष्टिकोण लोगों के समक्ष रखा। साथ ही हर्षाश्री द्वारा मैथिली साहित्य का अन्य भाषा में अनुवादक के आवश्यकता पर विचार रखा गया। तीसरा सत्र सायंकालीन कार्यक्रम "चंद्रमा उतरल गगन सँ" के अंतर्गत डॉ सुष्मिता झा जी का शास्त्रीय संगीत तथा अभिनव सब्यसाची द्वारा "मेघक पाँछाक इंद्रधनुष" नाटक की शानदार प्रस्तुति रही। ओडिसी नृत्य "नव दुर्गा" शिवानी झा जी द्वारा तथा काम्या झा जी का नृत्य "अयि गिरि नंदनी" से कार्यक्रम का समापन शानदार रूप से हुआ। सफल कार्यक्रम हेतु अयाची नगर युवा संगठन के सभी कार्यकर्ता रात-दिन जुटे हैं।
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