ज़ाहिद अनवर (राजु) / दरभंगा-सकरी रूमी
दरभंगा--अलविदा जुमे की नमाज अदा करने के लिए शहर की मस्जिदों में नमाजियों का हुजूम उमड़ पड़ा। बुजुर्ग हो या जवान हर किसी ने अलविदा की नमाज अदा की और सजदा कर खुदा का शुक्र अदा किया। बाद में नमाजियों ने देश की तरक्की के लिए अपने हाथ बुलंद कर दुआएं मांगीं। शुक्रवार को शहर की सबसे बड़ी अलविदा की जमात लहरियासराय स्थित जामा मस्जिद में अदा की गई। जुमे की नमाज में अपनी जगह बनाने के लिए समय से पहले से ही मस्जिदों में नमाजियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। नमाज से पहले मौलाना ने अपने खुतबे में इस पाक महीने की फजीलत बयान की। मौलाना ने कहा कि रमजान का महीना इंसान के लिए एक ट्रेनिंग है ताकि इंसान तीस दिन रोजा रखकर खुद को गुनाहों से दूर कर सके। इस एक महीने में जैसे वह रहता है ठीक उसी तरह साल के बाकी ग्यारह महीने इन नेकियों पर अमल करे और लोगों के काम आये। इन नेकियों को रमजान बाद भी इंसान अपनी जिंदगी में शामिल रखे यही इस महीने का असली मकसद है। मौलाना ने कहा कि ईद में अपनी खुशी के साथ गरीबों की खुशी का भी ख्याल रखना चाहिए इसके अलावा शहर के कई मस्जिदों में भी अलविदा की नमाज़ अदा की गई। जामा मस्जिद दरभंगा टावर, मुफ्ती मुहल्ला, करमगंज, दुमदुमा, झगड़ौआ मस्जिद, बेता समेत अधिकांश मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़ देखी गई। नमाज से पहले खुतबे में मौलाना ने ईद का चांद होते ही गरीबों को उनका हक सदका-ए-फित्र पहुंचाने की लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि जिस तरह रमजान में रोजा रखकर एक-दूसरे की भूख-प्यास का एहसास रहता है उसी तरह ईद की खुशियों से कोई महरूम न रहे इसका भी हमको ख्याल रखना है। अलविदा जुमे के मौके पर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। कुछ मुसलमानों ने आगामी जुमा को अलविदा पढ़ने की बात कही क्योंकि उन्होंने रोज़ा रखने का एहतेमाम एक दिन बाद किया था। वैसे ईद एक साथ होगा या नही इसपर भी सस्पेन्स बना हुआ है।
दरभंगा--अलविदा जुमे की नमाज अदा करने के लिए शहर की मस्जिदों में नमाजियों का हुजूम उमड़ पड़ा। बुजुर्ग हो या जवान हर किसी ने अलविदा की नमाज अदा की और सजदा कर खुदा का शुक्र अदा किया। बाद में नमाजियों ने देश की तरक्की के लिए अपने हाथ बुलंद कर दुआएं मांगीं। शुक्रवार को शहर की सबसे बड़ी अलविदा की जमात लहरियासराय स्थित जामा मस्जिद में अदा की गई। जुमे की नमाज में अपनी जगह बनाने के लिए समय से पहले से ही मस्जिदों में नमाजियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। नमाज से पहले मौलाना ने अपने खुतबे में इस पाक महीने की फजीलत बयान की। मौलाना ने कहा कि रमजान का महीना इंसान के लिए एक ट्रेनिंग है ताकि इंसान तीस दिन रोजा रखकर खुद को गुनाहों से दूर कर सके। इस एक महीने में जैसे वह रहता है ठीक उसी तरह साल के बाकी ग्यारह महीने इन नेकियों पर अमल करे और लोगों के काम आये। इन नेकियों को रमजान बाद भी इंसान अपनी जिंदगी में शामिल रखे यही इस महीने का असली मकसद है। मौलाना ने कहा कि ईद में अपनी खुशी के साथ गरीबों की खुशी का भी ख्याल रखना चाहिए इसके अलावा शहर के कई मस्जिदों में भी अलविदा की नमाज़ अदा की गई। जामा मस्जिद दरभंगा टावर, मुफ्ती मुहल्ला, करमगंज, दुमदुमा, झगड़ौआ मस्जिद, बेता समेत अधिकांश मस्जिदों में नमाजियों की भारी भीड़ देखी गई। नमाज से पहले खुतबे में मौलाना ने ईद का चांद होते ही गरीबों को उनका हक सदका-ए-फित्र पहुंचाने की लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि जिस तरह रमजान में रोजा रखकर एक-दूसरे की भूख-प्यास का एहसास रहता है उसी तरह ईद की खुशियों से कोई महरूम न रहे इसका भी हमको ख्याल रखना है। अलविदा जुमे के मौके पर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। कुछ मुसलमानों ने आगामी जुमा को अलविदा पढ़ने की बात कही क्योंकि उन्होंने रोज़ा रखने का एहतेमाम एक दिन बाद किया था। वैसे ईद एक साथ होगा या नही इसपर भी सस्पेन्स बना हुआ है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें