सात दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड भेजे गये अन्ना (खास पेशकस )
दिल्ली पुलिस अन्ना को तिहाड़ ले गई। इससे पहले मजिस्ट्रेट ने उन्हें सात दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मंगलवार की सुबह अन्ना और उनके साथियों की गिरफ्तारी हुई।
दिल्ली पुलिस ने मंगलवार सुबह सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और उनके साथियों को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने के बाद भी अन्ना हजारे का अनशन जारी है। उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया जा रहा है। अन्ना हजारे मंगलवार सुबह जयप्रकाश नारायण पार्क में जनलोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अनशन आरंभ करने वाले थे।
दिल्ली के मयूर विहार इलाके से अन्ना हजारे को हिरासत में लिया गया। उनके साथ करीब 250 समर्थकों ने भी गिरफ्तारियां दी। उनके मुख्य सहयोगियों- अरविंद केजरीवाल और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की पूर्व अधिकारी किरण बेदी और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण को भी हिरासत में लिया गया।
अन्ना हजारे की गिरफ्तारी की खबर फैलने के साथ ही राजधानी भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इसके बाद पुलिस ने 500 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। अन्ना हजारे एवं केजरीवाल सुप्रीम एनक्लेव स्थित फ्लैट से जयप्रकाश नारायण पार्क जाने के लिए निकल रहे थे तभी लिफ्ट के पास सादी वर्दी में खड़े लगभग 20 पुलिस अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
अन्ना हजारे को हिरासत में लिए जाने के समय वहां मौजूद सैकड़ों समर्थकों ने सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने अन्ना हजारे के समर्थन में भी नारेबाजी की। किसी भी घटना से निपटने के लिए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे। पुलिस ने सड़क पर किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए मानव श्रृंखला बना रखी थी।
हिरासत में लिए जाने से पूर्व अन्ना हजारे ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, ”मेरी गिरफ्तारी के बाद इस आंदोलन को मत रुकने दीजिए। यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। पूरा विश्व जानता है कि भ्रष्टाचार किस कदर अपने पांव जमा चुका है।”
अन्ना हजारे ने कहा, ”मैं आपसे अपील करता हूं कि इस आंदोलन में किसी तरह की हिंसा न होने पाए। मैं युवा और बुजुर्ग लोगों से अपील करता हूं कि यदि जेल भरो आंदोलन की आवश्यकता पड़े तो आप अपने आठ दिन देश को समर्पित कीजिए।” अन्ना हजारे के एक सहयोगी प्रशांत भूषण ने कहा, ”अन्ना हजारे को गिरफ्तार किया जाना गैरकानूनी एवं असंवैधानिक है। इस सरकार का लोकतांत्रित मूल्यों में कोई विश्वास नहीं है।”
कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने अन्ना हजारे की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। रोमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता किरण बेदी को राजघाट से हिरासत में लिया गया। इसके बाद उन्होंने कहा, ”जब अन्ना ने पुलिसकर्मियों से पूछा कि उन्हें किस आरोप में हिरासत में लिया जा रहा है। तो पुलिस ने कहा कि उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया गया है।”
बेदी ने कहा, ”दिल्ली पुलिस इस तरह के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को सम्भालने में सक्षम है.. ये गिरफ्तारियां ऊपर के आदेश से ही हुई हैं। इस तरह के हथकंडे आपातकाल के दौरान अपनाए गए थे।” उधर, कांग्रेस नेता एवं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि दिल्ली पुलिस पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव है।
राजनीतिक मामलों की कैबिनेट की बैठक के बाद उन्होंने कहा, ”पुलिस किसी राजनीतिक दबाव में नहीं है। पुलिस स्वतंत्र रूप से काम कर रही है।” सोनी ने कहा, ”मैं मानती हूं कि अन्ना के समर्थक हिंसा नहीं करेंगे, लेकिन इस बात की गारंटी कौन दे सकता है कि दो-तीन प्रदर्शनकारी हिंसा नहीं करेंगे और सम्पत्ति को या किसी की जान को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे?”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अन्ना हजारे की गिरफ्तारी की निंदा की है और इस परिस्थिति की तुलना 1975 के आपातकाल से की है। भाजपा प्रवक्ता रविशंक प्रसाद से कहा, ”यह खेदजनक और निदंनीय है। यह सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवज उठाने वाले हर व्यक्ति को कुचलने पर तुली हुई है।”
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हजारे की गिरफ्तारी के बाद की स्थिति का जायजा लेने के लिए राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की आपात बैठक बुलाई थी।
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